आपकी कुंडली के अनुसार प्रथम भाव में स्थित केतु अधिकतर मामलों में विपरीत फल मिलने के संकेत दे रहा है। आप एक परिश्रमी व्यक्ति हैं और अपने परिश्रम के कारण बहुत धन अर्जित कर पाएंगे। अपने भाई बंधुओं का साथ आपके जीवन को सुखी और समृद्ध बनाएगा। विद्या में आपकी रुचि कम होने के कारण शिक्षा कम रह सकती है। जानबूझ कर पढाई पर ध्यान न देना भविष्य में हानि पहुंचा सकता है। आपके मन में चंचलता एवं भय का वास हो सकता है जिस कारण आप थोड़ी सी कठिनाई के आगे भी नहीं टिक पाते। व्याकुलता और चिंता आपको कमज़ोर करती है. झूठ बोलना, बुरी संगती रखना आपको अच्छा लगता है. इसलिए आवश्यक है कि आप अच्छी संगती में रहें जिससे आपके जीवन में समस्याएं उत्पन्न न हों। दुष्ट लोगों से आपको हानि पहुंच सकती है। आपके भाई बंधुओं को कष्ट भोगना पड़ सकता है और आपके और उनके बीच क्लेश की स्थित उत्पन्न हो सकती है। आपका जीवन साथी हो या संतान दोनों को लेकर आप चिंता से घिरे रहेंगे। स्वास्थ्य की बात करें तो आपको वात रोग एवं पेट से जुड़े रोग कष्ट दे सकते हैं।
आपकी कुंडली के अनुसार द्वितीय भाव में स्थित केतु आपको अधिकतर अशुभ परिणाम मिलने के संकेत दे रहा है। आप एक सुखी एवं समृद्ध जीवन जियेंगे। आपका व्यक्तित्व मनमोहक होगा और आपकी वाणी मधुर होगी। धन की प्राप्ति भी प्रचुर मात्र में होगी। अशुभ फलों के चलते आपके कार्यों में अडचनें आएँगी और वाणी दोष भी हो सकता है। दूसरों को आदर देने में आप सदा पीछे रहेंगे। कहीं विद्या प्राप्त करने में व्यवधान आयेंगे तो कहीं आर्थिक स्थिति बिगड़ेगी। व्यर्थ धन व्यय होगा और पैतृक संपत्ति मिलने में भी रुकावटें आ सकती हैं। आपका मन अशांत और दुखी रहेगा और आपकी सोच भ्रमित रहेगी। राजपक्ष अथवा सरकार की ओर से कोई कष्ट पहुँच सकता है। आपको ऐसा लगेगा की आपके भाग्य की दशा ख़राब चल रही है। आपका स्वास्थ्य मुख रोगों के कारण बिगड़ सकता है। परिवार में आपसी मतभेद और आपके मित्रों के साथ आपके संबंधों में ऊँचनीच हो सकती है। निचले स्तर के लोगों की संगति आपको अच्छी लगेगी। आपके व्यवसाय को हानि हो सकती है। आपके कई कार्य धर्म के विरुद्ध जाते दिखाई देंगे। अतः आपको सलाह दी जाती है कि अपने आचरण में सुधार लायें और समस्याओं से बचें।
आपकी कुंडली के अनुसार तृतीय भाव में स्थित केतु आपको मिश्रित फल मिलने के संकेत दे रहा है। आपको अपने जीवन में धन, यश, विभिन्न प्रकार के खान-पान आदि का सुख मिलेगा। आप बलशाली और धैर्य से परिपूर्ण होंगे। आपको दान पुण्य करना अच्छा लगता है और ऐसी प्रवर्ती वाले लोगों की संगति भी। आपके शत्रु आपसे भयभीत रहेंगे और आप उन्हें समाप्त करने में सफल हो पाएंगे। आपको स्त्री सुख की भी प्राप्ति होगी। केतु के अशुभ फलों के कारण आपको सामजिक भय बना रहने के संकेत मिल रहे हैं। व्यर्थ चिंताएं, भय, भ्रम, आदि आपको घेरे रहेंगे। भूत प्रेतों में विश्वास के चलते आप उनकी तुलना देवताओं से करने लगेंगे। भाइयों और मित्रों को कष्ट भोगना पड़ सकता है। आपके मित्र आपके लिए हानि का कारण बन सकते हैं। व्यर्थ के विवादों में पड़ने से आपको बचना होगा। आपकी भुजाओं में कष्ट के चलते आप व्याकुल रहेंगे।
आपकी कुंडली के अनुसार चतुर्थ भाव में स्थित केतु आपको मधुरभाषी, धनी, सत्यप्रेमी, बलवान, शूरवीर और समृद्ध बनाता है। आपके भाई और मित्र आपके जीवन में सुख ला सकते हैं। इस स्थिति में केतु जीवन में बहुत से दुःख भी लाता है। आपके स्वभाव में चंचलता और वाचालता का वास होगा जिस कारण आप अपने कार्यों को ध्यान से नहीं करेंगे। दूसरों की आलोचना करने के कारण आपकी छवि लोगों के बीच बहुत ख़राब होगी। आपके अन्दर उत्साह की कमी होने के संकेत मिल रहे हैं। माता का साथ और घर में रहने का सुख आपके जीवन में बहुत नहीं है। माता का स्वास्थय भी ख़राब रह सकता है। आपके मित्रों के कारण पैतृक धन की हानि हो सकती है। इस कारण आपकी आर्थिक स्थिति बिगड़ेगी और आपको धन अर्जित करने के लिए देश विदेश जाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। अपने मित्रों के कारण आपको और भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
आपकी कुंडली के अनुसार पंचम भाव में स्थित केतु आपको पशु धन मिलने के संकेत दे रहा है। विदेश में निवास करना और तीर्थयात्राएं करना आपको अच्छा लगता है। आप पराक्रमी और बलवान होंगे और नौकर चाकरों का सुख भी उठाएंगे। आपके उपदेश लोगों को बहुत प्रभावित करते हैं। आपके भाई बंधू भी सुखी जीवन जियेंगे। नौकरी करना आपको पसंद होगा। लाभ पाने के लिए आप छल कपट का मार्ग चुन सकते हैं। केतु के अशुभ फलों के कारण नकारात्मक विचार आपकी सोच पर दुष्प्रभाव डालेंगे। धैर्य की कमी होने के कारण आप गलत निर्णय लेंगे और बाद में उनपर पछतायेंगे। अपने भ्रम और त्रुटियों के कारण आपको शारीरिक कष्ट हो सकता है। उदार भाग में चोट अथवा कोई और कारण भी कष्ट दे सकता है। सगे भाइयों से अच्छे सम्बन्ध नहीं रहेंगे। संतान कम होगी और पुत्र सुख में बाधाएं आ सकती हैं। तंत्र मन्त्र के कारण भी कष्ट हो सकता है।
आपकी कुंडली के अनुसार छठे भाव में स्थित केतु आपको अपनी की हुई प्रतिज्ञाओं को पूरा करने की क्षमता प्रदान करता है। आप एक गुणवान और उदार व्यक्ति हैं जिसे बहुत प्रसिद्धि प्राप्त होगी। आपको कोई उच्च पद मिलने के भी संकेत मिल रहे हैं। अपनी विद्या के बल पर आपको जीवन में यश प्राप्त होगा। व्यर्थ धन ख़र्च करने के स्थान पर आप संग्रह करना उचित समझेंगे। आप केवल अपने शत्रुओं को ही समाप्त नहीं करेंगे अपितु हर विवाद एवं प्रतिस्पर्धा में विजयी होंगे। आपको द्रव्य लाभ के साथ साथ इष्टसिद्धि भी प्राप्त हो सकती है। आपको निरोगी शरीर के स्वामी होंगे। यदि आपको कोई रोग हो भी जाये तो वो अधिक दिनों तक नहीं टिक पाता। पशुओं के प्रति लगाव होने के कारण आपको पशु धन भी प्राप्त होगा। यदि केतु के अशुभ फलों की बात करें तो आपको दांत एवं होंठों से जुड़े रोग हो सकते हैं। भूत प्रेत आदि के कारण आपका समय कठिनाई भरा बीतेगा। माता अथवा ननिहाल पक्ष की ओर से हानि होने के संकेत मिल रहे हैं। मामा से सम्बन्ध अच्छे नहीं होंगे जिस कारण ननिहाल में तिरस्कार झेलना पड़ सकता है।
आपकी कुंडली के अनुसार सप्तम भाव में स्थित केतु आर्थिक रूप से कुछ शुभ फल दे सकता है। आपको धन धन्य से पूर्ण जीवन मिलेगा। धन स्थिर रूप में आपके पास रहेगा। अशुभ फलों के रूप में यहाँ स्थित केतु आपकी बुद्धिमत्ता पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है जिस कारण अच्छे बुरे में अंतर करना आपके लिए कठिन होगा। आप दूसरों के चरित्र पर संदेह करने में भी नहीं हिचकिचाएंगे। यात्राएं आपके लिए शुभ नहीं मानी गयी हैं। आपको अपमान सहना पड़ेगा, वैवाहिक जीवन में कष्ट होगा, बुरी संगति मिलेगी, मित्र भी कष्ट का कारण बनेंगे, शत्रुभय और शत्रु द्वारा हानि के भी संकेत मिल रहे हैं। सरकार की ओर से और जल के माध्यम से आपको भय का सामना करना पड़ेगा। धन व्यर्थ ख़र्च होगा और नष्ट होता जायेगा। पिता के द्वारा प्राप्त धन भी आपके पास नहीं रुकेगा जिस कारण आर्थिक स्थित बिगड़ेगी। स्वास्थ्य बिगाड़ने के लिए वात रोग, वीर्य सम्बन्धी रोग एवं अंतड़ियों के रोग हो सकते हैं।
आपकी कुंडली के अनुसार अष्टम भाव में स्थित केतु कुछ शुभ फल मिलने के संकेत दे रहा है। आपको धन की कभी कोई कमी नहीं होगी और सरकारी माध्यम से भी धन प्राप्त होगा। आप बहुत उद्यमी हैं और अपने कार्यों को गंभीरता के साथ करते हैं। खेलकूद आपको अच्छा लगता है। आप पराक्रमी और शीलवान व्यक्ति हैं और आपका जीवन सुखों से भरा होगा। केतु के अशुभ फलों के कारण आप किसी को भी बिना सोचे समझे कष्ट दे सकते हैं। दुष्टजनो के साथ रहना और पाप संज्ञक कार्य करना आपको अच्छा लगेगा। विवेकहीनता आपके कार्यों में साफ़ दिखाई देगी। वाहन आदि से आपको हानि पहुँच सकती है। मित्रों से भी आपके अच्छे सम्बन्ध नहीं होंगे। दूसरों को दिया गया धन मिलने में व्यवधान आयेंगे। लोभ और चालाकी के कारण आप औरों के धन पर भी कुदृष्टि डाल सकते हैं। आपके स्वास्थ्य पर गुह्यरोग, दंतरोग और मुख रोग आक्रमण कर सकते हैं।
आपकी कुंडली के अनुसार नवम भाव में स्थित केतु आपके पराक्रम में वृद्धि करेगा। आपका स्वभाव धार्मिक, उदार, और दयालु होगा। आपके जीवन में क्लेश और कष्ट तो आयेंगे पर अधिक नहीं टिक पाएंगे। म्लेक्ष जाति के लोग आपके लिए लाभ का कारण बनेंगे और आपके कष्टों को दूर करने का कारण भी। आपको अस्त्र शस्त्र धारण करना, दानधर्म और तप करना अच्छा लगता है। विदेश एवं विदेशी आपके भाग्योदय में सहायक सिद्ध होंगे। सरकार की ओर से और अन्य माध्यमों से धन की प्रप्ति होगी। आपको पुत्र सुख तो मिलेगा ही साथ ही जीवन भी सुखपूर्ण होगा। ग़लत आचरण वाले व्यक्तियों से आपकी मित्रता के कारण आपको धन लाभ होगा। अशुभ फलों के कारण आपके सगे भाई बंधू आपके कष्ट का कारण बन सकते हैं और स्वयं भी कष्ट उठा सकते हैं। आपके द्वारा किये गए धार्मिक कार्य दिखावा प्रतीत होंगे। लाभ पाने के लिए आप दुसरे धर्म और दुसरे देशों के लोगों की ओर अग्रसर हो सकते हैं। आपके बाजुओं में कोई पीड़ा हो सकती है। आपके पिता के जीवन में सुख की कमी होगी और दूसरी ओर संतान को लेकर आप चिंतित रहेंगे।
आपकी कुंडली के अनुसार दशम भाव में स्थित केतु आपके तेज और बल में वृद्धि करेगा। आपके पास आत्मज्ञान, तीर्व बुद्धि, विभिन्न शास्त्रों का ज्ञान होगा। शिल्पकला में भी आपकी रुचि होगी। आप प्रसिद्ध, मिलनसार, प्रभावशाली और हर कार्य में सफलता पाने वाले व्यक्ति होंगे। यात्राएं आपको पसंद होंगी। शत्रुओं को परास्त करना और विरोधियों से भी प्रशंसा पाना आपके लिए आसान होगा। अशुभ फलों के कारण आप अपना समय और ऊर्जा व्यर्थ के कार्यों में ख़र्च करेंगे। आपके अच्छे कार्यों में रुकावटें आएँगी। आपको वाहन, चोर, और पशुओं से कष्ट पहुँच सकता है। आपको मानसिक कष्ट के साथ साथ पांव, वात, गुदा सम्बंधित रोग हो सकते हैं। पराये संबंधों की ओर आपका झुकाव अधिक होगा। अभिमान की भावना आपको कष्ट देगी।
आपकी कुंडली के अनुसार एकादश भाव में स्थित केतु आपको बहुत से शुभ फल मिलने के संकेत दे रहा है। आपके स्वभाव में उदारता, दया, परोपकार, सरसता और संतुष्टि देखने को मिलेगी। आपका व्यक्तित्व कांतिमय, आकर्षक और तेजस्वी होगा। आपके पास उत्तम वस्त्र, शास्त्रज्ञान, अनेकों आभूषण, सुन्दर निवास और ऐश्वर्यपूर्ण जीवन होगा। आप मृदुभाषी, हंसमुख, भाग्यवान और विद्वान व्यक्ति होंगे। आमदनी के लिए आपके पास बहुत से साधन उपलब्ध होंगे। आपको लोगों की प्रशंसा, सरकार एवं राजपक्ष से सम्मान, समाज में प्रतिष्ठा और लोकप्रियता मिलेगी। आपकी शिक्षा भी बहुत अच्छी होगी। शत्रुओं में आपका भय सदा बना रहेगा। अपने हाथों में लिया गया कार्य आप पूरा करते हैं। केतु के अशुभ फलों के कारण चिंताएं जीवन में बनी रहेंगी। आप अपनी हानि स्वयं कर बैठेंगे। पेट सम्बंधित रोग कष्ट दे सकते हैं। संतान को लेकर चिंता रह सकती है।
आपकी कुंडली के अनुसार द्वादश भाव में स्थित केतु आपको राजाओं के समान जीवन में सुख दिलाएगा। शत्रु आपसे पराजित होंगे और उनका अंत होगा। आप अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे और शास्त्रों का ज्ञान भी आपके पास होगा। कवित्त क्षेत्र आपको पसंद होगा। आपका धन अच्छे कार्यों में व्यय होगा जैसे धर्म कर्म आदि। आपकी आँखें आकर्षक होंगी। केतु के अशुभ फलों के कारण आपका स्वभाव चंचल और मन अशांत रहेगा। आप किसी पर भी विश्वास नहीं कर पाएंगे और दूसरों के लिए भ्रम की स्थित बना देंगे। आपकी किसी पुरानी संपत्ति की हानि हो सकती है। आपको आँखों से सम्बंधित रोग, पेट से जुड़े रोग, पैरों से जुड़े रोग, गुदा एवं गुह्यभाग में रोग आदि हो सकते हैं। बहुत सी यात्राओं का योग बनता दिख रहा है। आपका स्वभाव डरपोक हो सकता है।